रिश्तों और किश्तों का अजीब मेलजोल…
संभालो इसे…
जिम्मेदार बनकर, समय समय पर
निभालो इससे…
नखरे करती, बनती – बनाती
रुठती भिगङती, और हसती हसाती
यह हमारी जिंदगी
ऐसी है जो कि रुकता नहीं
वह तो है दो पल की
हम जितना सोचते है
उससे तेज हमसे दूर है भागती
अब जूट ही जाओ उस काम में
रिश्तो और किश्तों को रोज निभाने में.
बस अपने अपनों का दिल जीतना
जो भी पल मिले औरों के लिए बिताना
जिन्दगीने जो बख़्शा है हमे
हर साँस के आते जाते किस्तों में
उसके शुक्रगुजार रहो हर पल में
हर पल में…
-डॉ. लता सत्यवान नाईक ,गोवा
Poem Written By Dr. Lata Satyawan Naik