Ram Setu Myth or Reality by Dr. Rajiv Nigam

(An analysis on the various aspects of the topic, now under debate)

रामसेतु वास्तविक अथवा या काल्पकि वैज्ञानिक आधार

भारत की संस्कृति की प्राचीनता के प्रमाण के रूप में प्राय: वेद, पुराण, उपनिषद, महाभारत /गीता एवं रामायण का उल्लेख किया जाता है | यह सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में हैं और साधारण जनमानस के लिए दुरूह हैं | तुलसीदास कृत रामचरीत मानस में सरल एवं प्रचलित भाषा हिन्दी (अवधघी) में होने के कारण भारतीय जन मानस में अभूतपूर्व लोकप्रियता प्राप्त की तथा श्री राम को पूज्य मर्यादपुरोषतम भगवान का दर्जा प्रदान किया है | भगवान राम के जीवन से जुड़े २ प्रमुख स्थानों अयोध्या तथा रामसेतु के विवादास्पद होने के कारण समाज के सभी वर्गों का ध्यान इस ओर आर्कषित हुआ है | वैज्ञानिक भी इस भावना से अवगत हैं और वैज्ञानिक विधाओं का उपयोग करते हुये उन्होने भी अपना योगदान इस विषय पर दिया है | अयोध्या पर विवाद के निपटारे में पुरातत्व वैज्ञानिकों का उल्लेखनीय योगदान रहा है और न्यायात्रय ने वैज्ञानिक साक्षों के आधार पर इस विवाद का निदान भी कर दिया है | आप हम दूसरे विवाद रामसेतु से संम्बधित वैज्ञानिक आधार की चर्चा करेंगे |

महर्षिवाल्मिकि की रामायण एवं तुलसीदास की रामचरित मानस, दोनों में सेतुबंध रामेश्वरम का वर्णन है कि किस तरह राम जी की सेना ने लंका जाने के लिऐ एक सेतु अथवा बंघ का निर्माण किया | यह विवाद सुर्खयो में तब आया जब जनभावना के विपरीत सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट में इसे तोडने की बात हुयी तथा ततकालीन सरकार ने शपथ पत्र दिया कि राम एवं रामसेतु केवल कल्पना मात्र हैं |

यहाँ इस विषय पर चर्चा की गयी है कि कया राम के समय में यह संम्बव था
कि समुद्र को कुछ प्रयल कर के पार किया जा सकता है ??
इस विषय से संम्बधित तीन प्रमुख प्रश्न हैं
१. राम जी का समय कया था ?
२. भारत तथा श्रीलंका के मध्य समुद्र की अभी गहराई कितनी है?
३. क्‍या और कैसे समुद्रतल में आये परिवर्तनों का पता वैज्ञानिक तरीकों
से लगाया जा सकता है | यदि हॉ, तो राम जी के समय में समुद्र की गहराई
कितनी थी और क्या उस पर सेतु अथवा बंध बनाना संम्भव था ?

राम जी का समय :

साहित्य में, इतिहास कारों में तथा वैज्ञानिकों के मध्य इस विषय पर विभिन्‍न धारणाएं हैं | इस विषय पर एक संगोष्ठी २०१० में दिल्ली में हुयी थी जिसका उदघाटन भारत के राष्ट्रपति डॉ . अब्दुल कलाम ने किया था | इसमें प्रस्तुत शोधपत्रों के आधार पर, राम के जन्म तथा उसके बाद की घटनाओं के समय, विभिन्‍न ग्रहों की निधातियों को प्लेनेटोरियम के साफ्टवेयर मे डालने के पश्चात यह निश्चय किया गया कि भगवान
राम का समय लगभग ५१०० वर्ष ईसपुर्व अर्थात ७१०० वर्ष पुराना है | (संभव :Historicity of the Era of Lord Ram by Sarojbala and “Dating the Era of Lord Rama” by Puskar Bhatnagar, Published by Rupa and Company)

भारत तथा श्रीलंका के मध्य समुद्र की गहराई:
यदि हम आज की स्थिति देखें तो भारत तथा श्रीलंका के मध्य समुद्र अत्यंत छिछला (Shallow) है और इसकी गहराई करीब ३ मीटर है | इसी कारण बडे बडे समुद्री जहाजो को भारत के पश्चिमी तट से पुर्वी तट पर जाने के लिये श्रीलंका का पुरा चक्कर लगा कर जाना पडता है | इसी आधार पर आर्थिक कारणों से सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट की कल्पना की गयी थी जिसमे ‘ड्रेजिंग कर के गहराई बढाने का प्रयल किया जाना शामिल था |

पिछले १४००० वर्षो में आये समुद्र तल के परिवर्तनों का इतिहास : अनेक वैज्ञानिक उपकरणों तथा विधियों का प्रयोग करते हुये भारतीय वैज्ञानिकों ने अरब सागर तथा बंगाल की खाडी में पिछले करीब १४००० वर्षो में समुद्रतल में परिवर्तनों का पता लगाया गया है (चित्र १ एवं २) राम सेतु चूंकि दोनों सागरों का मिलन स्थान है इस लिये दोनों ही क्षेत्रों के समुद्र तल का अध्यन किया गया है | इन अध्यनों को समतुल्य (रिलेटिव )समुद्र तल के संदर्भ में देखा जाना चाहिये जिसमे नियोटेकटानिक शामिल है |

इन दोनों ही अध्यमनों में (संदर्भ :हाशमी,निगम, १९९५ स्व॑ं २००२ ..Joan. Geol. Soc. India¸इवं निगम २०१२,लावसन एवं निगम 2019, Jour. Geol. Soc. India) यह दोनों ही चित्र दिखाते है कि आज से करीब १४-१५ हजार वर्ष पूर्व समुद्र तल आज की तुलना में करीब १00 मिटर नीचे था | करीब ९ .५ हजार वर्ष पूर्व यह आज की तुलना में करीब ३०-४० मीटर नीचे था और इस समय सूरत शहर के बाहरी समुद्र
में एक प्राचीनतम शहर की खोज, भारत सरकार के पृथ्वी विकास मंत्रालय ने की थी (संदर्भ India Today 2000) इसके बाद समुद्र का बढ़ना आरंम्भ हुआ और करीब ४-६ हजार वर्ष पुर्व यह आज की तुलना में कई मीटर उपर था जिस समय लोथल (गुजरात) नाम का विश्व के सबसे पुराना बंदरगाह की खोज की गयी थी | यदि राम जी के समय, अर्थात ७१०० वर्ष पूर्व देखें तो समुद्र का तल करीब २-३ मीटर नीचे था | अर्थात भारत तथा श्रीलंका के मध्य का समुद्र अत्यंत ही छिछला था तथा करीब करीब जमीन से जुडा हुआ जिस मे कुछ ही स्थान गडडे जैसे रहे होंगे | इस लिये श्री राम की सेना के लिए यह संम्भव था कि थोडे से ही प्रयलो से इन छिछाले गडडो को भर कर भारत तथा श्रीलंका के मध्य एक सेतु (Causeway) या सही शब्दों मे बंध (सेतु से पुल का भ्रम होता है fly over) का निर्माण किया जा सके |

इसके यह सिद्घ होता कि आज से करीब ७१०० वर्ष पूर्व (राम जी का समय ) यह संम्भव था कि भारत और श्रीलंका के मध्य आगागमन हेतु समुद्र पर एक बंध (राम सेतु ) का निर्माण किया गया था|

यही एक समय है जब बंध का निर्माण संम्भव था क्‍यों कि यदि यह और ज्यादा पुराना हो जैसे १०,००० साल, तो बंध की आवश्यकता ही नही होगी क्‍यों कि बिना बंध के ही भारत और श्रीलंका थल मार्ग से जुड जायें गे | और यदि यह कम पुराना जैसे ५००० साल पुराना, तो वंध बनाता संभ्मव नही होगा, क्यो कि तब इस स्थान की गहराई बढ जाये गी |

डॉ . राजीव निगम
पुर्व विभागाध्यक्ष
समुदिय भूर्गर्माशास्त विभाग
एवं समुद्रीय पुरातत्व
राष्टीय समुद्र विज्ञाव संस्थान
डोना पौला, गोवा ४०३ ०

 

 

 The Author :

Dr. Rajiv Nigam is Ex HOD, Geological Oceanography Divn. and Marine Archeology, NIO, Goa

Ram Setu Myth or Reality by Dr. Rajiv Nigam

4 thoughts on “Ram Setu Myth or Reality by Dr. Rajiv Nigam

  • May 1, 2021 at 2:12 pm
    Permalink

    Thanks Sir. Very informative.
    Regards.
    Bimalda

    Reply
    • June 21, 2021 at 10:15 am
      Permalink

      Thanks, for detailed interpretation on ram सेतु,wonderful , very informative,expecting more information on ram सेतु from your intensive experience on सब्जेक्ट mater,radhe Radhe

      Reply
  • June 21, 2021 at 8:21 am
    Permalink

    Excellent work Dear Rajiv we are all proud of you regarding your literal inclination and logical thinking. Keep it up

    Reply
  • June 21, 2021 at 10:50 am
    Permalink

    वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर की गई विवेचना के लिए डॉ राजीव निगम बधाई के पात्र हैं।
    राम चन्द्र तिवारी

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *